गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल स्ट्रोमल ट्यूमर (जीआईएसटी) पर अकसर पूछे जाने वाले प्रश्न
आईएसटी क्या है ?
जीआईएसटी का मतलब, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल स्ट्रोमल ट्यूमर; यह जठरांत्र संबंधी मार्ग में एक बहुत ही कम देखे जाने वाला ट्यूमर है। यह पेट में सबसे अधिक (50-60%) होता है ; उसके बाद छोटी आंत में (30-35%) और बृहदान्त्र / मलाशय, ग्रासनली, अन्त्रपेशी, ओमेंटम और रेट्रोपरिटोनम में कम बार होता है। जीआईएसटी एक प्रकार का कैंसर है । ( इस कैंसर के कई अलग-अलग उप-प्रकार हैं और जीआईएसटी उप-प्रकार में है जिसे सारकोमा कहा जाता है।)
जीआईएसटी होने के कारण क्या है ?
- अधिकांश मामले छिटपुट ( वशांनुगत नहीं ) हैं और KIT और PDGFR जैसे जीनों में उत्परिवर्तन (म्यूटेशन ) के कारण होते हैं। इन उत्परिवर्तन के विकास के कारणों को अच्छी तरह से समझा नहीं गया है।
- कुछ GIST को विरासत में मिला (जर्मलाइन) जैसे SDH और NF1 म्यूटेशन के साथ सबसे अधिक जाना जाता है।
{उत्परिवर्तन : एक जीन में न्यूक्लियोटाइड के क्रम में बदलाव के परिणामस्वरूप अक्सर प्रोटीन में अमीनो एसिड के क्रम में परिवर्तन होता है }
कैंसर की कौन सी अवस्था है ?
निदान के समय केवल एक ट्यूमर
जीआईएसटी के लगभग 80% रोगियों में निदान के समय एक ही ट्यूमर होता है।
निदान के समय मेटास्टेटिक रोग
लगभग 20% मामलों में कैंसर मूल साइट से दूर के स्थानों जैसे लीवर और पेरिटोनियम तक फैल जाता है। इन दूर के ट्यूमर को मेटास्टेसिस कहा जाता है।
स्टेजिंग को ट्यूमर होने के स्थान, आकार और कैंसर कितनी तेजी से / गुना से (कम या ज्यादा) बढ़ने के अनुसार तय किया जाता है – उसके बाद इसकी पुनरावृत्ति (ट्यूमर के आकार, साइट) को कम, मध्यवर्ती या उच्च जोखिम के रूप में वर्गीकृत किया जाएगा। यदि यह अन्य अंगों में फैल तो यह मेटास्टेटिक कैंसर है।
- कम
- मध्यवर्ती
- उच्च
क्या जीन म्यूटेशन परीक्षण आवश्यक है ?
- गैर-मेटास्टेटिक रोग (एक स्थान में सीमित) में, म्यूटेशन परीक्षण सर्जिकल तरीके से लिये गये नमूनों पर किया जाता है। यह डॉक्टरों को यह समझने में मदद करता है कि कैंसर कैसे व्यवहार कर सकता है और किस प्रकार का उपचार दिया जाना चाहिए, ताकि रोगी को बीमारी दोबारा होने की संभावना कम हो ।
- मेटास्टेटिक रोग में, थेरेपी का चयन करने के लिए म्यूटेशन परीक्षण किया जाता है। उदाहरण के लिए, यदि रोगी को KIT म्यूटेशन है, तो इमैटिनिब का उपयोग किया जाता है ; जबकि मेटास्टेटिक बीमारी के साथ एक PDGFR exon 18 D842V म्यूटेशन वाले लोगों के लिए, प्रारंभिक उपचार अन्य TKI के बजाय एवाप्रिटिनिब के साथ होना चाहिए क्योंकि इन रोगियों में इमैटिनिब काम नहीं करती है। इसके अलावा, इमैटिनिब SDH म्यूटेशन exon 18 PDGFR पर प्रभावी नहीं हैं।
क्या किसी ऑन्कोलॉजिस्ट के पास जाना पर्याप्त है या किसी एक विशेषज्ञ को देखना आवश्यक है ?
- वर्तमान में और काफी प्रगति के साथ जीआईएसटी के प्रबंधन में, जीआईएसटी विशेषज्ञ से मिलना बेहतर है जो रोगी का मार्गदर्शन कर सकता है और परीक्षण किए जाने की सलाह दे सकता है, ताकि मरीजों को सर्वोत्तम उपचार उपलब्ध हो सके ।
मुख्य उपचारो में क्या शामिल है ?
उपचार बीमारी की स्टेज पर निर्भर करता है ।
निदान के समय केवल एक ट्यूमर
सर्जरी इसका मुख्य इलाज है । कम या मध्यवर्ती जोखिम वाले रोगियों के लिए, सर्जरी अक्सर रोगनिवारक होती है। इमैटिनिब–संवेदनशील म्यूटेशन वाले उच्च जोखिम वाले रोगियों के लिए, आमतौर पर 3 से 5 साल के लिए सहायक इमैटिनिब दिया जाता है। यदि रोगी को सहायक उपचार बंद करने के बाद ट्यूमर दोबारा होता है, तो उन्हें आमतौर पर इमैटिनिब पर फिर से शुरू किया जाता है।
निदान के समय मेटास्टेटिक रोग
इमैटिनिब को अधिकांश जीआईएसटीएस में इमैटिनिब- संवेदनशील म्यूटेशन प्रकारों के होने के कारण आमतौर पर निर्धारित किया जाता हैं। हालांकि, गैर – इमैटिनिब संवेदनशील म्यूटेशन प्रकारों की पहचान करने के लिए म्यूटेशनल परीक्षण महत्वपूर्ण है ताकि रोगी को सर्वोत्तम दवा के लिए निर्देशित किया जा सके। लगभग 8–10% जीआईएसटीएस में पीडीजीएफआएए म्यूटेशन होंगे और इनमें से दो तिहाई D842V म्यूटेशन होंगे। यह उत्परिवर्तन इमैटिनिब, सुनिटिनिब या रेगोराफैनिब पर प्रतिक्रिया नहीं देता है, हालांकि यह एवप्रिटिनिब पर प्रतिक्रिया देता है । सर्जरी भी उपचार योजना में एक भूमिका निभा सकती है।
क्या होगा, अगर इमैटिनिब काम नहीं करता है, या रोगी प्रतिरोधक बन जाता हैं ?
यदि रोग इमैटिनिब उपचार पर आगे बढ़ता है, तो अन्य दवाएं जैसे कि सुनिटिनिब, रेगोराफेनिब, एवाप्रिटिनिब और रिपेट्रिबिब उपलब्ध हैं। बाद की दो दवाओं को हाल ही में 2020 के भीतर स्वीकृत किया गया है और दोनो विशेष सहायता कार्यक्रमों के तहत उपलब्ध हैं।
क्या दवा से कोई दुष्प्रभाव हैं ?
हाँ, सबसे आम दुष्प्रभावों में थकान, मितली, शरीर में दर्द, रक्त गणना और प्लेटलेट गणना में अंतर होता है। आपका डॉक्टर इन दुष्प्रभावों के लिए आपकी निगरानी करेगा। अधिकांश रोगी दवा का अच्छे से उपभोग करते हैं और जिससे समय के साथ दुष्प्रभावों में सुधार होता है।
क्या कीमोथेरेपी GIST के उपचार के लिए काम करती है ?
अनुसंधान से पता चलता है कि पारंपरिक कीमोथेरेपी और विकिरण चिकित्सा GIST के उपचार में प्रभावी नहीं हैं।
किस तरह की देखरेख की आवश्यकता है ?
उपचार की प्रतिक्रिया पर निगरानी के लिए एक डॉक्टर द्वारा प्रत्येक 3 से 6 महीने में सीटी स्कैन या पीईटी स्कैन की सलाह दी जाती है। यदि रोग घटता है या समान आकार का है, तो चिकित्सा जारी है। यदि यह बढ़ जाता है, तो आपकी चिकित्सा बदल सकती है।
दवाओं के लिए बीमा द्वारा भुगतान होगा ?
कई दवा कंपनियाँ वित्तीय मदद या कीमतों में छूट की स्कीम का प्रस्ताव देती हैं। बीमा के लिए, कृपया पॉलिसी दस्तावेजों की जांच करें जहाँ कैंसर के उपचार के तहत कवर किए गए विवरणों की जानकारी हैं।
क्या हमारे भारत में कोई सहायता समूह है ?
हाँ, हमारे पास सचिन सार्कोमा सोसाइटी है जो मरीजों और डॉक्टरों को जोड़ने का शानदार काम कर रही है। द लाइफ राफ्ट ग्रुप अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मरीजों को जोड़ने और रोगी समुदाय के लिए सूचना और संसाधन उपलब्ध कराने में सहायता कर सकता है।
वे किस प्रकार की सहायता देते है ?
वे हमें विशिष्ट डॉक्टरों से जोड़ते हैं, और वे सकारात्मक संदेश भेजकर भावनात्मक रूप से सहायता करते हैं।
रोगी को किस प्रकार का रवैया रखना चाहिए ?
सकारात्मक रहे, खुश रहे। परिवार के सदस्यों और देखभाल करने वालों के साथ धीरज पाए और इस बात का सामना करे कि “कैंसर जीतने योग्य है” । नए उपलब्ध उपचार विकल्पों और बेहतर देखभाल के साथ, अधिकांश रोगी अच्छा करते हैं ।