इस लेख में कीमोथेरेपी करवाने वाले रोगियों द्वारा अधिकतर पूछे जाने वाले कुछ प्रश्नों को उत्तर है। कृप्या इसे ध्यानपूर्वक पढ़े एवं जो कुछ भी आपको समझने मे कठिन लगे उसके संबंध में अपने डॉक्टर से पूछें। यह ध्यान रखना चाहिए कि नीचे उल्लिखित तथ्य सामान्य प्रकृति के हैं, प्रत्येक रोगी में कुछ अंतर होने की संभावना हो सकती है।
विषय सूची
1. कीमोथेरेपी क्या है? इसे किस प्रकार दिया जाता है?
2. कीमोथेरेपी उपचार का क्या प्रयोजन है?
4. क्या कीमोथेरेपी के लिए मुझे अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता है? दिवस उपचार ( डे केयर) क्या है?
5. यदि मैं निर्धारित किए गए अनुसार कीमोथेरेपी लेता हूं तो क्या यह गारंटी है कि मैं ठीक हो जाऊंगा?
6. मेरे केस में कीमोथेरेपी की कुल लागत क्या है?
7. मेरी जननषक्ति पर कीमोथेरेपी का क्या प्रभाव होगा? गर्भनिरोध के संबंध में क्या है ?
10. यह बताए गए उपचार साथ-साथ होम्योपैथिक उपचार भी लेना चाहता हूं ?
11. क्या मैं अन्य अर्बुदविज्ञानी (डाक्टर) से राय ले सकता हूं?
12. क्या मैं धूम्रपान जारी रख सकता हूं? क्या मैं तंबाकू चबाना जारी रख सकता हूं?
13. मेरे उपचार के दौरान भोजन के बारे में क्या संस्तुतियां हैं?
15. कीमोथेरेपी के सामान्य दुष्प्रभावा क्या है?
16. कीमोथेरेपी के कम दुश्प्रभाव क्या है? (साईड एफेक्ट)
1. कीमोथेरेपी क्या है? इसे कैसे दिया जाता है ?
कीमोथेरेपी उन कुछ सुनिष्चित दवाइयों से संबंधित है जो कैंसर की कोषिकाओं को रोकती अथवा समाप्त कर देती हैं। इसे इंजेक्षन अथवा मुंह से दी जाने वाली दवाइयों के रुप में दिया जा सकता है। अधिकतर इंजेक्षन के द्वारा दिया जाने वाली कीमोथेरेपी दवाई अंतःषिरा (खून की नस ) मार्ग के द्वारा दी जाती है। इसे या तो बोलस इंजेक्षन या इंफ्यूजन के रुप में एक मिनट से घंटे तक में दिया जाता है। हालांकि कुछ इंजेक्षन से दिए जाने वाले कीमोथेरेपी कारकों को अंतपेषी (पेषी में), त्वचा के नीचे (त्वचा के नीचे) अथवा इंट्राविकल (रीढ़ के द्रव्य में) मार्ग द्वारा दिया जाता है। कीमोथेरेपी को सामान्यतः चक्रों में दिया जाता है- प्रत्येक कुछ सप्ताह में बार- बार / प्रत्येक चक्र को एक से अधिक या अनेक दिनों तक दिया जाता है। चक्रों की अवधि (दो चक्रों के बीच समय अंतराल, आरंभिक चक्र के पहले दिन से प्रारंभ) एवं चक्रों की संख्या विभिन्न ट्यूमरों तथा विभिन्न पद्धतियों से भिन्न होती है, अधिकांष दृढ़ ट्यूमरों (अर्थात फेफड़ा, स्तन, अण्डाषय, जठरांज एवं अन्य सदृष्य ट्यूमर्स) को कीमोथेरेपी की 4 से 8 चक्र से उपचार किया जाता है जिसे प्रत्येक 3 से 4 सप्ताह में दिया जाता है। कुछ ट्यूमरों को कई उपलब्ध कीमोथेरेपी पद्धतियों में से एक से उचित प्रकार से उपचारित किया जाता है। उपचार को प्रत्येक रोगी की विषिश्ट स्थिति को विचार में रखते हुए तैयार किया जाता है एवं यह मानक प्रकाषित प्रोटोकालों अथवा वैज्ञानिक सूचना से भिन्न हो सकता है।
2. कीमोथेरेपी उपचार का क्या प्रयोजन है?
उपचार किए जा रहे कैंसर की अवस्था पर दी जा रही कीमोथेरेपी का उद्देष्य निर्भर करता है, रोग की आरंभिक अवस्था में इसे रोगको पुनः होने से रोकने के लिए दिया जाता है। विकसित अवस्था में इसका उद्देष्य लक्षणों को नियंत्रित करना, जीवन गुणवत्ता सुधारना तथा कई अवस्थाओं में उत्तरजीविता (भविशय का जीवन ) को सुधारना है। अधिकांष दृढ़ ट्यूमरों को षल्यचिकित्सा (सर्जरी) रेडिएषन एवं कीमोथेरेपी के कुछ मिश्रण से उपचारित किया जाता है। असंख्य रुधिरविज्ञानात्मक (रक्त) कैंसरों का प्रारंभिक उपचार कीमोथेरेपी के साथ अथवा रेडिएषन के बिना किया जाता है।
3. कीमोथेरेपी के पहले चक्र से पूर्व क्या जांचे अपेक्षित है ? उत्तरवर्ती चक्रों से पूर्व किनजाचों की आवश्यकता है?
पहले से ही किए गए जांचों के आधार पर आपको कीमोथेरेपी के पहले चक्र के आरंभ से पूर्व आपको निम्नलिखित जांचों में से कुछ अथवा सभी करवाने की आवष्यकता होगी: संपूर्ण रक्त गणना ( सी बी सी), जैवरसायन (बायोकेमिस्ट्री) (लिवर एवं किडनी प्रकार्य जांचे, ट्यूमर मार्कर्स आदि, इन सभी को रक्त नमूना लेकर किया जाएगा), रेडियोलॉजी (एक्स रे, सी टी स्कैन, अल्ट्रासाउण्ड, 2 डी इको), बायोप्सी (टुकडे की जाँच ) आदि । आपको कीमोथेरेपी की पूर्व चक्र के प्रभाव की जांच करने के लिए कुछ रक्त जांचो (जिन्हे मध्य चक्र मूल्यांकन कहा जाता है) के लिए दो चक्रों के मध्य बुलाया जा सकता है। असंख्य घटनाओं में आपको कीमोथेरेपी के प्रत्येक चक्र से पूर्व रक्त जांचे (विषेशकर सी बी सी, परन्तु कभी – कभी अन्य जैवरसायन जांच करवाने की सलाह दी जाएगी। यह महत्वपूर्ण है क्योंकि रक्त गणना का सामान्य होना आवष्यक है जिससे कि अगला चक्र दिया जा सके। आपके विषेश केस के अधार पर डॉक्टर कीमोथेरेपी के कुछ चक्रों के पश्चात एक्स-रे, सी टी स्कैन या अन्य जांचों से ट्यूमर प्रतिक्रिया का मूल्यांकन कर सकते हैं।
4. क्या कीमोथेरेपी के लिए मुझे अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता है? ‘दिवस उपचार’ ( डे केयर) क्या है ?
नियोजित कीमोथेरेपी के प्रकार एवं रोगी की सामान्य स्थिति के आधार पर रोगी को अस्पताल में भर्ती होने या भर्ती नहीं होने की आवष्यकता हो सकती है, कई कीमोथेरेपी पद्धतियों को अंतः षिरा इंफ्यूजन के रुप में दिया जाता है जो कई घंटों तक एक या अधिक दिनों तक रहती है। इन्हे अक्सर दिवस उपचार में सुरक्षित रुप से दिया जा सकता है जहां आप प्रत्येक दिन थोड़े समय के लिए भर्ती होते हैं एवं फिर आपकी अस्पताल से छुट्टी हो जाती है। यदि आपके लिए दिवस कीमोथेरेपी का निर्णय किया जाता है तो प्रत्येक चक्र के लिए आपकी दिवस उपचार स्टाफ से एपांइमेंट लेना चाहिए। आपको एपांइमेंट समय एवं दिन पर दिवस उपचार में पहुंचना चाहिए। इंजेक्षन कक्ष में कुछ कीमोथेरेपी पद्धतियों को अंतः षिरा पुष (बोलस) के रुप में सुरक्षित रुप से दिया जा सकता है।
5. क्या इस बात की गारंटी है कि यदि मैं निर्धारित किए गए अनुसार कीमोथेरेपी लेता हूं तो मैं स्वस्थ हो जाऊंगा?
इस प्रष्न का उत्तर दुर्भाग्य से ‘नहीं’ है। कैंसर की प्रकृति ऐसी है कि आरंभ में इसकी स्पश्ट समाप्ति के पश्चात इसके पुनः होने की संभावना बनी रहती है। इसके पुनः होने की संभावना एक रोगी से अन्य रोगी तक भिन्न होती है एवं यह ट्यूमर के प्रकार, इसकी अवस्था, उपचार की उपयुक्तता एवं कई अन्य कारकों पर निर्भर करता है। विकसित अवस्था में भी कुछ ही रोगियों (सभी नहीं) में कैंसर कीमोथेरेपी के प्रति प्रतिक्रिया देता है। यह उल्लेख करना महत्वपूर्ण होगा कि रोगियों के बहुत बड़े समूह के लिए आंकड़े लागू होते हैं। आपके जैसे व्यक्ति के लिए परिणाम विषिश्ट होंगे। उदाहरण के लिए जब आपका डॉक्टर आपको बताता है कि 5 वर्श की उपचार दर 80 प्रतिषत है, इसका क्या अर्थ है। यदि आप जैसे 100 रोगी आज उपचारित होते हैं एवं वह फालोअप के लिए आते हैं तो 5 वर्श के अंत में 80 व्यक्ति जीवित होंगे एवं रोग मुक्त होंगे। अन्य 20 उस अवधि में कुछ समय में रोग के पुनः होने की स्थिति से पीड़ित होंगे। अक्सर पहले से यह बताना बहुत कठिन या असंभव होता है कि कोई व्यक्ति किस समूह में जाएगा तथा कैंसर फिर से कब होगा।
6. मेरे केस में कीमोथेरेपी की कुल लागत क्या है?
कीमोथेरेपी का खर्च भिन्न-भिन्न है एवं यह कैंसर के प्रकार, विषिश्ट चुनी हुई कीमोथेरेपी पद्धति एवं प्रत्येक रोगी की आवष्यकताओं के लिए सहायक उपचार की श्रेणी पर निर्भर करता है। पूर्ण कीमोथेरेपी क्रम को खर्च में कीमोथेरेपी दवाईयां, सहायकत दवाईयां एवं अस्पताल में भर्ती होना सम्मिलित हैं। आपको यह अवष्य समझना चाहिए कि इसका खर्च मात्र अनुमान है एवं अप्रत्याषित परिस्थितियां उत्पन्न हो सकती हैं। कृपया यह नोट करें कि कीमोथेरेपी की दवाइयों की लागत का उनकी प्रभावकता से कोई संबंध नहीं है। अधिक मंहगी दवाईयां ज्यादा प्रभावी या कम प्रभावी नहीं हैं।
7. मेरी प्रजजन क्षमता पर कीमोथेरेपी का क्या प्रभाव होगा? गर्भनिरोध के संबंध में क्या है ?
सामान्यतः रोगियों के लिए अपनी उपचार अवधि के दौरान अपने सहभागी के साथ यौन संबंध को जारी रखना सुरक्षित है । यद्यपि यह बताना अत्यावष्यक है कि जननक्षम आयु समूह वाले रोगियों को अपने उपचार के दौरान गर्भनिरोध (विषेशकर अवरोध पद्धति) अपनाना चाहिए । कुछ कीमोथेरेपी दवाईयां अस्थाई या स्थाई रुप से बांझपन का कारण बन सकती हैं। यदि यह आपकी चिंता का कारण है तो कृपया इस संबंध में अपने डॉक्टर से चर्चा करें। यदि आप कीमोथेरेपी के पश्चात बच्चे को जन्म देने की योजना बनाते हैं तो इस संबंध में आने डॉक्टर के साथ संस्तुत समय के लिए चर्चा करें। जननक्षम आयु समूह वाली महिलाओं में कीमोथेरेपी के कुछ प्रकार से माहवारी अस्थाई अथवा स्थाई रुप में बंद हो सकती है।
8. क्या मेरा रोग संक्रामक है ? क्या मेरे निकट संपर्क से यह रोग अन्यों को हो सकता है? क्या मैं बच्चों के साथ खेल सकता हूं?
कैंसर संक्रामक रोग नहीं है एवं बच्चों सहित अन्य व्यक्तियों के साथ सामान्य संपर्क बनाने पर कोई रोक नहीं है । यह रोग बर्तन, कपड़े, भोजन, पानी एवं यौन गतिविधि जैसे निकट संबंध बनाने से संचारित नहीं होता है।
9. मुझे लंबे समय से डायबिटिस एवं उच्चरक्त दाब है। क्या मैं इन रोगों के लिए दवाई लेना जारी रख सकता हूं? क्या मैं अन्य डॉक्टरों द्वारा निर्धारित दवाईंया ले सकता हूं?
हां आप डायबिटिस एवं उच्च रक्त दाब जैसी लंबी बीमारियों के लिए दवाईयां लेना जारी रखना चाहिए। हालांकि आपको आप द्वारा ली जा रही सभी दवाईयों के संबंध में अपने अर्बुदविज्ञानी (डाक्टर) को अवष्य बताना चाहिए। आप आपात परिस्थितियों के लिए अन्य डॉक्टरों द्वारा बताई गई दवाईयां भी ले सकते हैं, जब आप उनके पास जाएं तो आपको उनसे अपने कैंसर उपचार के बारे में अवष्य बताना चाहिए ।
10. मैं यहां बताए गए उपचार के साथ होम्योपैथिक उपचार भी करवाना चाहता हूं। क्या मैं ऐसा कर सकता हूं?
आपको हमारे उपचार के साथ वैकल्पिक दवाई पद्धति (होम्योपैथि, आयुर्वेद, यूनानरी आदि) को नहीं अपनाने की सलाह दी जाती है। चूंकि हम इन उपचार पद्धतियों में प्रषिक्षित नहीं है अतः हम उत्पन्न हो सकने वाले प्रतिकूल प्रभाव के संबंध में कोई पूर्वसूचना या अनुमान नहीं बता पाएंगे। यदि आप हमारे उपचार को बंद करना चाहते हैं एवं उपचार के अन्य रुप को आरंभ करना चाहते है तो आप ऐसा करने के लिए स्वतंत्र हैं ।
11. क्या मैं अन्य अर्बुदविज्ञानी (डाक्टर) से राय ले सकता हूं?
आप अनेक डॉक्टरों से राय लेने के लिए स्वतंत्र हैं ।
12. क्या मैं धूम्रपान जारी कर सकता हूं? क्या मैं तंबाकू चबाना जारी रख सकता हूं?
आपको पूर्णतः सलाह दी जाती है कि धूम्रपान सहित किसी भी रूप में तंबाकू का प्रयोग बंद करना होगा। आपके संबंधी एवं मित्रों को प्रेरित करना होगा किसी तंबाकू के किसी भी रुप का प्रयोग करना बंद करना होगा क्योकि यही एक बहुत महत्वपूर्ण कारक है जनसमुदाय में कैंसर संबंधी मृत्यु को रोकने के लिए यदि आप या आपको कोई परिचित तंबाकू को छोड़ने में किसी प्रकार की मदद चाहता है तो वह हमसे संपर्क कर सकता है।
13. मेरे उपचार के दौरान भोजन के संबंध में क्या सावधानिया बरत सकता हूँ ?
खाने पीने के संबंध में सबसे महत्वपूर्ण संस्तुति यह है कि वह स्वच्छ होना चाहिए आपके लिए यह सही रहेगा कि आपके उपचार की पूर्ण अवधि के दौरान भली भांति से पका हुआ भोजन, उसे सही प्रकार से परोसना चाहिए एवं वह गर्म होना चाहिए। आपको यह सुझाव दिया जाता है कि मसालेदार भोजन से परहेज करना चाहिए । भली भांति रुप से पके हुए मासांहारी भोजन खाने पर कोई मनाही नहीं है, आप स्वच्छ पानी से अच्छे से धुले हुए फल भी खा सकते हैं। फलों के बदले फलों के जूस में कोई विषेश पोशक तत्व नहीं होते एवं वह संक्रमण का स्त्रोत भी हो सकते हैं अतः कीमोथेरेपी के दौरान उनसे बचना चाहिए। आपको यह सुझाव दिया जाता है कि आपको स्वच्छ पानी अधिक से अधिक पीना चाहिए (जब तक कि आपको ऐसा करने के लिए निर्देष न दिया गया हो। प्रत्येक बार खाना खाने से पूर्व आपको अपने हाथ साबुन एवं पानी से धाने चाहिए एवं आपकी भोजन परोसने वाले व्यक्ति के हाथ भी साफ होने चाहिए। कीमोथेरेपी के दौरान संक्रमण को रोकने के लिए यह सबसे महत्वपूर्ण उपाय है। अस्वच्छ भोजन एवं पेय (उदा. के लिए फलों का रस एवं नारियल पानी जो कि रोड़ पर बैठे हुए विक्रेता से लिए गए हां, रेस्टोरेंट में कच्चा सलाद आदि) को कीमोथेरेपी के दौरान लेने से डायरिया एवं अन्य संक्रमण काकारण होता है।
14. मैंने सुना है कि कीमोथेरेपी उपचार का सबसे विशाक्त रुप है । मुझे कीमोथेरेपी से भय लगता है। मुझे क्या करना चाहिए?
अन्य उपचार पद्धति की भांति ही कीमोथेरेपी के भी दुश्प्रभाव हैं जो कभी-कभी गंभीर हो सकते हैं। निम्नलिखित प्रत्येक दुश्प्रभावों की उत्पत्ति एवं गंभीरता प्रत्येक व्यक्ति के लिए भिन्न हो सकती है एवं यह प्रयोग की गई विषिश्ट कीमोथेरेपी की पद्धति पर निर्भर करती है। यह उल्लेख करना भी आवष्यक है कि सभी दुश्प्रभाव सभी रोगियों को नहीं होते । वास्तव में अधिकतर रोगी निर्धारित कीमोथेरेपी क्रम को बिना प्रमुख जटिलताओं (साईड एफेक्ट) के पूर्ण कर लेते हैं। इस सूचना से आपको परिचित कराने का प्रयोजन आपको हर प्रकार की पूर्व संभावना ( एवं कुछ सीमा तक जटिलता को रोकने) के बारे में अवगत कराना है। हमें आषा है कि इससे आपका अपनी अपने उपचार दल के साथ बेहतर संबंध बनेंगे। अतः एव उत्तरवर्ती संमात्य दुश्प्रभावों के बारे में एवं कीमोथेरेपी की जटिलताओं के बारे में पढ़ने के पश्चात धवराए नहीं। आपको कीमोथेरेपी देने के अंतिम निर्णय में संभावित जोखिमों एवं इस उपचार के लाभों पर ध्यान रख कर विचार किया जाता है। कीमोथेरेपी को तभी दिया जाता है जब लाभ की संभावना जोखिम से अधिक हो।
15. कीमोथेरेपी के सामान्य दुष्प्रभावा क्या है?
कीमोथेरेपी के सामान्य दुश्प्रभाव एवं विशाक्ताएं सम्मिलित हैं परन्तु यह दुष्प्रभाव निम्नलिखित तक सीमित नहीं है।
क) मितली एवं/या उल्टी: यह कीमोथेरेपी के तुरंत पश्चात अथवा अनेक दिनों के पश्चात उत्पन्न हो सकता है। यह प्रभाव भिन्न समय अवधि (घंटे से सप्ताह) के लिए रह सकते हैं। कीमोथेरेपी के पश्चात मितली एवं उल्टी की गहनता को एवं ऐसी घटना को कम करने के लिए दवाईयां (ऐंटी – एमिटिक्स नामक ) दी जाती है। ऐटी – एमिटिक्स को मुखीय तथा / या इंजेक्षन के रुप में दिया जा सकता है।
ख) मुंह एवं गले में घाव एवं व्रणः यह प्रभाव कीमोथेरेपी आरंभ करने के कुछ दिनों के भीतर आरंभ करने के कुछ दिनों के भीतर आरंभ होते हैं। आपको दिन में दो बार कोमल टूथब्रष का प्रयोग कर मुंह की स्वच्छता बनाए रखनी चाहिए। उदाहरण के लिए अपने कीमोथेरेपी के दौरान आपको दिन भर में 2-3 बार ऐंटीसेप्टिक माउथ वाष से मुंह साफ करना चाहिए। की पीड़ा कोषंत करने के लिए (यदि आपको व्रण हो जाता है) आपको जाइलाकेन विस्कॉस का प्रयोग करना चाहिए (इसे खाना खाने से पूर्व मुंह पर लगाना चाहिए)।
ग) डायरियाः यह कीमोथेरेपी के आरंभ होने के पश्चात किसी भी समय हो सकता है एवं यह किसी एक या दो कारणों से हो सकता है। प्रथम कीमोथेरेपी दवाई आंत्र उपकला (ऐपिथेलिएम) की कोषिकाओं की सतह को प्रभावित हो सकता है तथा व्रण (फोडा) होने का कारण बन सकता है। द्वितीय यह कीमोथेरेपी की अवधि के दौरान खाया जाने वाले अस्वच्छ भोजन (जैसे कि फल का जूस एवं नारियल पानी जिसे कि रोड साईड विक्रेता से लिया जाता है, रेस्टोरेंट आदि मे कच्चा सलाद) से हो सकता है। यदि आपको केपिसिटेवाइन जैसे मुखीय कीमोथेरेपी को लेने के पश्चात डायरिया हो जाता है तो आपको इसे तुरंत बंद कर देना चाहिए। जब भी आपको डायरिया हो तो तुरंत ही मुखीय रिहाइड्रेषन सोल्यूषन आरंभ कर देना चाहिए। यह इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन एवं डिहाइड्रेषन को रोकता है।
घ) कब्ज: यह सामान्यतः कीमोथेरेपी दवाईयां के साथ निर्धारित की गई हालांकि यह कीमोथेरेपी दवाइयों के कारण या रोग के कारण भी हो सकता है। ऐसा होने पर आप प्रत्येक कीमोथेरेपी के चक्र के आरंभ होने के कुछ दिनों के लिए रात को सोते समय पानी के साथ 4-6 चम्मच इसबगोल की भूसी (नेट्रोलक्स या सॉक्टोवेक पाउडर) ले सकते हैं।
ड.) बाल झड़नाः उपचार के दौरान आपके कुछ या पूरे बाल झड़ सकते हैं। इस दुश्प्रभाव को राकने के लिए कोई सिद्ध प्रभावी उपाय नहीं है। कीमोथेरेपी के पूर्ण होने के 4-6 माह के भीतर आपके बाल पुनः आ जाएंगे।
च) त्वचा विषाक्तताः त्वचा पर साईड एफेक्टकुछ दवाईयां त्वचा का रंग गहरा कर सकती है विषेशकर षरीर का कम प्रदर्षित भाग कुछ दवाइयों से नाखून काले हो जाते हैं। यह दुश्प्रभाव कीमोथेरेपी के पूर्ण होने के पश्चात बहुत ही कम दुबारा उत्पन्न होते हैं।
छ) शरीर के अन्य भागों एवं अंगो में दर्द एवं खुजली होनाः पैक्लीटेक्सल जैसी कुछ दवाईयां अंगो, हड्डियों एवं षरीर के अन्य भागों में दर्द का कारण बनती हैं। यह सामान्यतः दवाई देने के कुछ घण्टों के भीतर आरंभ हो जाते हैं एवं कुछ दिन तक रहते हैं। इसी के समान फिल्ग्रेस्टिम (जी- सी एस एफ ) गंभीर पीठ दर्द एवं अंगों में खुजली से छुटकारा पाने के लिए आपका डॉक्टर आपको दर्द निवारक दवाई दे सकता है।
ज) संक्रमण सहित या रहित अल्प श्वेत रक्त कोशिका गणनाए (ल्यूकोपेनिया): यह जटिलताएं कीमोथेरेपी के आरंभ होने के लगभग 6से 7 दिनों में आरंभ हो जाता है एवं यह भिन्न समय अवधि (सामान्यतः कुछ दिन ) के लिए रहता है। कीमोथेरेपी के कुछ दुष्प्रभाव पूर्वसूचित डोज एवं पद्धति आधारित तरीके से उत्पन्न होते हैं। अल्प डब्ल्यू बी सी गणनाएं संक्रमण के साथ या संक्रमण के साथ या संक्रमण रहित हो सकती हैं। संक्रमण का प्रथम लक्षण सामान्य ज्वर (> 100 एफ ) है यद्यपि कुछ रोगियों में बिना ज्वर के गंभीर संक्रमण भी हो जाते हैं । संक्रमण के अन्य सामान्य लक्षण ठंड लगना, पसीना आना, दस्त, गला दुखना, खांसी, मूत्र त्यागने के समय जलन होना, त्वचा या जननांग क्षेत्र में लालिमा या सूजन होना, असामान्य योनि स्त्राव या सूजन आदि हैं। ऐसे अनेक उपाय है जिससे संक्रमण के जोखिम को कम करने में मदद मिलती है। आपको नीचे दिए गए आहार संबंधी निर्देषों का अनुपालन करना चाहिए। ऐसे लोगों से दूर रहें जिन्हे, जुखाम, फ्लू एवं छाले आदि हों । भीड़-भाड़ से बचें। उन बच्चों से दूर रहें जिन्हे हाल में टीका लगा हो। इन सावधानियों के बावजूद कुछ रोगियों को संक्रमण हो जाता है। अधिकांष रोगियों में यदि संक्रमण का निदान हो जाता है एवं इसका प्रारंभ में उपचार कर लिया जाता है तो इसे या तो मुखीय दवाई या इंजेक्षन ऐंटीबायोटिक्स देकर नियंत्रित किया जाता है। बहुत कम रोगियों में यह घातक भी हो सकता है। कीमोथेरेपी के देने के पश्चात यदि आपको ज्वर होता है या संक्रमण के अन्य लक्षण उतपन्न होते हैं तो आपको तुरंत ही अस्पताल में सूचित करना चाहिए । आपके डॉक्टर कीमोथेरेपी के प्रथम चक्र या उत्तरवर्ती चक्र के पश्चात आपको आपकी रक्त गणनाओं की जांच करने के लिए बुला सकते हैं। अल्प रक्त गणना बनने के जोखिम को किसी भी विषिश्ट भोज्य पदार्थ से परिवर्तित नहीं किया जा सकता है। रोगियों को थर्मामीटर की मदद से तापमान मापना चाहिए एवं उसे एक डायरी में नोट करना चाहिए। सभी रोगियों को कीमोथेरेपी के लिए निषान लगाने से पूर्व थर्मामीटर से अपनी जांच करनी चाहिए।
झ) अल्प प्लेटलेट गणनाएं: यह कीमोथेरेपी को देने के ( सामान्यतः द्वितीय सप्ताह) पश्चात भिन्न समय अवधि में उत्पन्न हो सकता है। एवं यह कुछ दिनों से अनेक सप्ताह तक चल सकता है। प्लेटलेट गणना महत्वपूर्ण है क्योंकि अल्प प्लेटलेट गणना विषेशकर जब यह 20000/ एम एम होता है या जब इसके साथ ज्वर आता है तो लगातार रक्तस्त्राव (जैसे नाक, मूढ़ों, त्वचा या उल्टी के साथ मल के साथ) होने की स्थिति बढ़ जाती है। रक्तस्त्राव होने का सबसे महत्वपूर्ण स्थल मस्तिश्क है। जिससे चेतना एवं अन्य अभिव्यक्तियों में परिवर्तन हो सकता है। आपको अपने डॉक्टर से पूछ बिना कोई दवाई नहीं लेनी चाहिए, षेविंग करते समय कटने से बचें तथा/या कैंची का प्रयोग करें एवं ऐसी षारिरिक गतिविधि से बचें जिससे आपको चोट लग सकती है। कुछ रोगियों में प्लेटलेट आधानों की आवष्यकता (जैसे कि आपके डॉक्टर ने सुझाव दिया है) हो सकती है।
(ञ) एनीमिया: यह रक्त में अल्प हीमोग्लोबिन की ओर संकेत करता है। यह कई कीमोथेरेपी दवाईयां का सुपरिचित दुश्प्रभाव है। यह अक्सर बढ़ता हुआ प्रभाव है अर्थात कीमोथेरेपी के अनेक चक्रों के पश्चात इसके होने की अत्यधिक संभावना है। ऐसे अनेक से कारण हैं जो एनिमिया के विकसित होने का कारण बन सकते हैं जैसे रक्तस्त्राव अधिक या लंबी अवधि की माहवरी, पूर्व विद्यमान कुपोशण खाने की खराब एकाग्रता आदि जैसे लक्षण होते हैं । आपके डॉक्टर आपको पैकेट में बंद आर बी सी देने का निर्णय कर सकते हैं जिससे इस स्थिति का उपचार हो सके या आपको कुछ निष्चित दवाइंया की आवश्यकता हो सकती है।
16. कीमोथेरेपी के कम सामान्य दुष्प्रभाव क्या हैं?
कीमोथेरेपी के कारण हो सकने वाले असामान्य विशाक्तताएं निम्नानुसार हैं:
त) कीमोथेराप्यूटिक दवाई के ( परिस्त्राव अथवा निःस्त्राव ) के कारण इंजेक्षन वाले स्थान पर पीड़ा, सूजन एवं व्रण हो सकता। यदि आपको इनमें से कोई लक्षण दिखते हैं तो तुरंत ही अपने डॉक्टर से संपर्क करें ।
थ) अति संवेदनशीलता एवं तीव्रग्राहिताः (एलर्जी) कीमोथेरेपी के पश्चात यह सामान्यतः पित्ती (एक प्रकार से त्वचा के फटने से) के भिन्न सम्मिश्रण, ष्वास की कमी, छाती में भारीपन, घबराहट, पसीना एवं कुछ समय अवधि (मिनट से घण्टे ) के लिए बेचैनी जैसी स्थितियों के रुप में दर्षित होती हैं। कीमोथेरेप्यूटिक दवाई एवं अन्य सहायक दवाइयों को तुरंत ही बंद कर दिया जाता है । यह असामान्य है परन्तु संमात्य रुप से कीमोथेरेपी की गंभीर जटिलता है तथा अप्रत्याषित है । यह हालांकि यह पैक्लीटेक्सल, तूक्सिमेब जैसी कुछ दवाई के कारण होता है इन दवाइयों से अतिसंवेदनषीलता होने के अत्यधिक संभावना होती है। इस प्रकार की प्रतिक्रिया कीमोथेरेपी की प्रथम या उत्तरवर्ती चक्रों के पश्चात हो सकता है। एलर्जी से संबंधित किसी भी पूर्व इतिहास के संबंध में अपने डॉक्टर को अवष्य बताना चाहिए।
द) हृदय (हृद) विशाक्तताः डोक्सोरुबिबिसिन, एपीरुबीसिन, डोनोरुबिसिन, आईडारुबिसिन, मिटोजेन्ट्रॉन, 5-फ्लूरोयूरेसिल, हर्सेप्टिन आदि जैसी कुछ कीमोथेरेपी दवाइयों से अतालता (अनियमित हृद ताल) या हृदपात के रुप में हृद् विशाक्तता हो सकती है। यह कीमोथेरेपी को देने के पश्चात कुछ मिनट से वर्शों तक हो सकता है। इस जटिलता की उत्पत्ति कम है, इसका संबंध कीमोथेरेपी के संचयी डोज एवं पूर्व – विद्यमान हृद रोग के होने से है ।
ध) किडनी (रीनल) विशाक्तताः कीमोथेरेपी करवाने वाले रोगी विविध कारणों के लिए रीनल विशाक्तता का कारण बनते हैं। कुछ ट्यूमर्स (उदाहरण के लिए कुछ लिम्फोमस एवं ल्यूकेमियास) कीमोथेरेपी के पश्चात तेजी से उपघटित हो सकते हैं, यह किडनी के अवरोधक एवं खराबी के कारण बन सकते हैं। सिस्प्लेटिन जैसी कीमोथेरेपी दवाइयां एवं एमिकासिन जैसी ऐंटीबायोटिक्स से किडनी को सीधा नुकसान हो सकता है। उचित हाइड्रेषन, मूत्रीय एल्कालाइनाइजेषन एवं एलोपुरीनॉल जैसी उपयुक्त सावधानियों से इस जटिलता को कुछ सीमा तक रोका जा सकता है।
न) फेफड़ा(श्वसन) विशाक्तताः कीमोथेरेपी करवाने वाले रोगी अल्प प्रतिरक्षा (इम्यूनिटी या रोगो से लड़ने की क्षमता) के कारण ऊपरी या निम्न ष्वसन पथ संक्रमणों का शिकार बनते हैं। इससे खांसी, बुखार, छाती में पीड़ा एवं ष्वास में कमी जैसी स्थितियां उत्पन्न होती हैं इसके अतिरिक्त कुछ कीमोथेरेपी दवाइयों (अधिकतर ब्लियोमासिन ) से फेफड़ों को प्रत्यक्ष हानि पहुंच सकती है। जिससे खांसी, ष्वास में कमी एवं छाती का एक्सरे धब्बे आना जैसी स्थितियां आ सकती हैं। आपको तुरंत ही इन सभी लक्षणों के बारे में अपने डॉक्टर से बात करनी चाहिए।
प) तंत्रिका विशाक्तताः कुछ कीमोथेरेपी दवाइयां से परिपरीए तंत्रिका को सीधे ही हानि हो सकती है जिससे सनसनाहट, सुन्न हो जाना, पेषियों की कमजोरी एवं कभी-कभी कब्ज जैसी स्थिति भी उत्पन्न हो सकती है। सामान्यतः सबसे जटिल दवाइयां विंक्रिस्टाइन, सिस्प्लेटिन, ऑक्सलीप्लेटिन एवं पैक्लीटेक्सल हैं। यह प्रभाव दवाई के बंद करने के पश्चात भी आंषिक रुप से पुनः हो जाते हैं। इसके अतिरिक्त इफोस्फेमाइड एवं उच्च डोज़ साइटोसाइन एराबिनोसाड जैसी अन्य दवाइयों से केंद्रीय तंत्रिका तंत्र की विशाक्तता हो सकती है जिससे चेतना में परिवर्तन हो जाता है । सिस्प्लेटिन जैसी कुछ दवाइयों से सुनने की क्षमता में कमी हो सकती है। यह अक्सर दवाई की संचयी डोज से संबंधित है। फ) लिवर (यकृत) विशाक्तताः कभी कभी कीमोथेरेपी दवाइयों या ऐंटीबायोटिक्स से लिवर में विशाक्तता हो सकती है जिससे भूख न लगना, पीलिया तथा / या लिवर प्रकार्य जांच की क्षति जैसी स्थितियां उत्पन्न होती है। अधिकतर यह असामान्यताएं लिवर के कैंसर में अंतर्निहित होने के कारण होती है।
17. क्या सभी रोगों के लिए एक समान कीमोथेरेपी है? मैं ओ पी डी से बाहर कुछ अन्य कैंसर रोगियों से मिला जो बहुत से दुश्प्रभाव से पीड़ित थे? अतः मैं यह जानना चाहता हूँ कि क्या मुझे भी ऐसे दुश्प्रभाव होंगे ?
विभिन्न प्रकार के कैंसरों के लिए भिन्न प्रकार की कीमोथेरेपी पद्धति होती है, कुछ गहन होती है जबकि कुछ नहीं होती है, कीमोथेरेपी को सहन करना एवं इसकी प्रभावकता भी एक रोगी से अन्य रोगी की प्रकृति पर निर्भर करती है। अतः अन्य रोगियों को हुए दुश्प्रभावों का यह अर्थ नहीं है कि यह आपको भी होंगे।